रोहित श्रीवास्तव
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कुछ दिन पहले शाहिद कपूर स्टारर वाली विशाल भारद्वाज की फिल्म “हैदर” देशभर के सिनेमाघरों मे प्रदर्शित हुई। फिल्म मे शाहिद के अलावा श्रद्धा कपूर, के.के. मेनन और तब्बू ने मुख्य भूमिकाए निभाई है। आलोचको ने फिल्म के सभी कलाकारों के अभिनय की जमकर तारीफ की है। आम लोगो से भी फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। पर कुछ व्यक्तियों ने फिल्म की मूलभूत सोच पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह जरूर लगाया है उनका मानना है कि फिल्म देश की ‘राष्ट्रीयता-मूल्य’ के भाव को प्रदशित करने मे पूरी तरह से विफल दिखती है। बॉक्स ऑफिस पर कमाई के मामले मे भी फिल्म 100 करोड़ का जादुई आंकड़ा चूमने मे नाकामयाब रही है।
फिल्म के निर्देशक विशाल भारद्वाज ने इससे पहले भी ‘ओमकारा’, ‘कमीने’ और ‘इश्किया’ जैसी विवादास्पद फिल्मों का निर्देशन किया है और अब ‘हैदर’ भी विवादों से घिरी हुई नज़र आती है। मगर इस बार मामला अत्यंत-गंभीर नजर आता है, देश की अस्मिता और गौरव से जो जुड़ा हुआ है। भारद्वाज ने अपनी फिल्म मे भारतीय सेना की छवि को खराब करने का काम किया है। यह फिल्म कश्मीर जैसे अति-संवेदनशील मुद्दे का वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष कमजोर करती है। भारत ने कश्मीर को आज़ादी के बाद से ही अपना अभिन्न अंग बताया है उधर दूसरी तरह ‘हैदर’ मे भारद्वाज ने कश्मीर को भारत के ‘ग़ुलाम’ के रूप मे प्रस्तुत किया है।
अततः निष्कर्ष मे अपने फिल्मी जगत के निर्माताओ, निर्देशको और अभिनेता/अभिनेत्रियों से एक बात जरूर कहूँगा कि आप की पहली पहचान आपके ‘भारतीय’ होने की है। अभिनेता, निर्माता की पहचान ‘द्वितीयक’ है। आप अपनी द्वितीयक पहचान को स्थापित करने के लिए अपनी आधारभूत और सर्वोपरि ‘भारतीयता’ की पहचान को कैसे दांव पर लगा सकते हैं। ‘कला’ के नाम पर आपको किसने ‘राष्ट्रीयता’ का सौदा करने का हक़ दिया? आपने कश्मीर से खदेड़े गए विस्थापित ‘कश्मीरी-पंडितों’ का पक्ष क्यों नहीं रखा? आपको नहीं लगता अगर आप नेक पहल के साथ दुनिया के सामने ‘कश्मीर- समस्या’ का मसला ‘हैदर’ के माध्यम से दिखाना चाहते थे तो आपने इससे जुड़े सभी पक्षो को निष्पक्षता के साथ दिखाना उचित क्यों नहीं समझा? ‘हैदर’ ने जिस भारतीय सेना की छवि खराब करने की कोशिश की है, क्या भारद्वाज जी आपने उस सेना का भी पक्ष रखा? दुनिया के सामने अपनी ही सेना की ‘गलत’ तस्वीर दिखा कर आप ने क्या हासिल किया? आलोचको से ‘चंद’ तारीफ? बैंक मे कुछ ‘पैसे’? कश्मीर मे एक भारतीय सैनिक कैसे रहता है? अपने परिवार को छोड़ कर? केवल ‘आप’ की और देश की ‘अस्मिता’, ‘सम्मान’ और ‘सुरक्षा’ के लिए वह विषम परिस्थितियों मे दुश्मन से देश के बार्डर की रक्षा करता है। आप ने ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति’ और ‘मनोरंजन’ के नाम पर 65 करोड़ (फिल्म की कुल आँकी गयी अब तक की कमाई) के लिए 1 अरब आबादी वाले देश की भावनाओ को आहत करने का काम किया है। आप ने उन शहीदों की आत्माओ को ठेस पहुंचाया है जो कश्मीर के अस्तित्व और देश के आत्म-सम्मान के लिए खुद को भारत-माता पर खुशी-खुशी न्योछावर कर गए। अगर किसी कश्मीरी के साथ कुछ गलत हुआ है तो हमारी उनके साथ पूरी सहानुभूति है पर आपने थोड़ी सी भी मार्मिक दृष्टि से सेना का योगदान भी ‘हैदर’ को दिखाया होता तो शायद फिर से कोई ‘हैदर’ पैदा न होता।
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